Surya Chalisa Lyrics In Hindi | सूर्य चालीसा

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Surya Chalisa In Hindi & English  सूर्य चालीसा
Surya Chalisa In Hindi & English | सूर्य चालीसा

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Surya Chalisa Lyrics In Hindi

श्री सूर्य देव चालीसा ॥
॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

॥चौपाई॥
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥ 1॥

विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 2॥

सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥3॥

मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥4

मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, 
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै, 
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥5॥

द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥6॥

नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥7॥

बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥8॥

धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥9॥

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥10॥

ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥11॥

पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥12॥

बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥13॥

विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥14॥

अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥15॥
अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥16॥

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥17॥

परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥18॥

भानु उदय बैसाख गिनावै, 
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता, 
कातिक होत दिवाकर नेता॥19॥

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, 
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥20॥

॥दोहा॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

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Khatu Shyam Chalisa K
Khatu Shyam Chalisa

Khatu Shyam Chalisa In Hindi

॥ दोहा॥
श्री गुरु पदरज शीशधर प्रथम सुमिरू गणेश ॥
ध्यान शारदा ह्रदयधर भजुँ भवानी महेश ॥

चरण शरण विप्लव पड़े हनुमत हरे कलेश ।
श्याम चालीसा भजत हुँ जयति खाटू नरेश ॥

॥ चौपाई ॥
वन्दहुँ श्याम प्रभु दुःख भंजन ।
विपत विमोचन कष्ट निकंदन ॥

सांवल रूप मदन छविहारी ।
केशर तिलक भाल दुतिकारी ॥

मौर मुकुट केसरिया बागा ।
गल वैजयंति चित अनुरागा ॥

नील अश्व मौरछडी प्यारी ।
करतल त्रय बाण दुःख हारी ॥4

सूर्यवर्च वैष्णव अवतारे ।
सुर मुनि नर जन जयति पुकारे ॥

पिता घटोत्कच मोर्वी माता ।
पाण्डव वंशदीप सुखदाता ॥

बर्बर केश स्वरूप अनूपा ।
बर्बरीक अतुलित बल भूपा ॥

कृष्ण तुम्हे सुह्रदय पुकारे ।
नारद मुनि मुदित हो निहारे ॥8

मौर्वे पूछत कर अभिवन्दन ।
जीवन लक्ष्य कहो यदुनन्दन ॥

गुप्त क्षेत्र देवी अराधना ।
दुष्ट दमन कर साधु साधना ॥

बर्बरीक बाल ब्रह्मचारी ।
कृष्ण वचन हर्ष शिरोधारी ॥

तप कर सिद्ध देवियाँ कीन्हा ।
प्रबल तेज अथाह बल लीन्हा ॥12

यज्ञ करे विजय विप्र सुजाना ।
रक्षा बर्बरीक करे प्राना ॥

नव कोटि दैत्य पलाशि मारे ।
नागलोक वासुकि भय हारे ॥

सिद्ध हुआ चँडी अनुष्ठाना ।
बर्बरीक बलनिधि जग जाना ॥

वीर मोर्वेय निजबल परखन ।
चले महाभारत रण देखन ॥16

माँगत वचन माँ मोर्वि अम्बा ।
पराजित प्रति पाद अवलम्बा ॥

आगे मिले माधव मुरारे ।
पूछे वीर क्युँ समर पधारे ॥

रण देखन अभिलाषा भारी ।
हारे का सदैव हितकारी ॥

तीर एक तीहुँ लोक हिलाये ।
बल परख श्री कृष्ण सँकुचाये ॥20

यदुपति ने माया से जाना ।
पार अपार वीर को पाना ॥

धर्म युद्ध की देत दुहाई ।
माँगत शीश दान यदुराई ॥

मनसा होगी पूर्ण तिहारी ।
रण देखोगे कहे मुरारी ॥

शीश दान बर्बरीक दीन्हा ।
अमृत बर्षा सुरग मुनि कीन्हा ॥24

देवी शीश अमृत से सींचत ।
केशव धरे शिखर जहँ पर्वत ॥

जब तक नभ मण्डल मे तारे ।
सुर मुनि जन पूजेंगे सारे ॥

दिव्य शीश मुद मंगल मूला ।
भक्तन हेतु सदा अनुकूला ॥

रण विजयी पाण्डव गर्वाये ।
बर्बरीक तब न्याय सुनाये ॥28

सर काटे था चक्र सुदर्शन ।
रणचण्डी करती लहू भक्षन ॥

न्याय सुनत हर्षित जन सारे ।
जग में गूँजे जय जयकारे ॥

श्याम नाम घनश्याम दीन्हा ।
अजर अमर अविनाशी कीन्हा ॥

जन हित प्रकटे खाटू धामा ।
लख दाता दानी प्रभु श्यामा ॥32

खाटू धाम मौक्ष का द्वारा ।
श्याम कुण्ड बहे अमृत धारा ॥

शुदी द्वादशी फाल्गुण मेला ।
खाटू धाम सजे अलबेला ॥

एकादशी व्रत ज्योत द्वादशी ।
सबल काय परलोक सुधरशी ॥

खीर चूरमा भोग लगत हैं ।
दुःख दरिद्र कलेश कटत हैं ॥36

श्याम बहादुर सांवल ध्याये ।
आलु सिँह ह्रदय श्याम बसाये ॥

मोहन मनोज विप्लव भाँखे ।
श्याम धणी म्हारी पत राखे ॥

नित प्रति जो चालीसा गावे ।
सकल साध सुख वैभव पावे ॥

श्याम नाम सम सुख जग नाहीं ।
भव भय बन्ध कटत पल माहीं ॥40

॥ दोहा॥
त्रिबाण दे त्रिदोष मुक्ति दर्श दे आत्म ज्ञान ।
चालीसा दे प्रभु भुक्ति सुमिरण दे कल्यान ॥

खाटू नगरी धन्य हैं श्याम नाम जयगान ।
अगम अगोचर श्याम हैं विरदहिं स्कन्द पुरान ॥

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Shri Rani Sati Dadi Ji Chalisa In Hindi

॥ दोहा ॥
श्री गुरु पद पंकज नमन,
दुषित भाव सुधार,
राणी सती सू विमल यश,
बरणौ मति अनुसार,
काम क्रोध मद लोभ मै,
भरम रह्यो संसार,
शरण गहि करूणामई,
सुख सम्पति संसार॥

॥ चौपाई ॥
नमो नमो श्री सती भवानी।
जग विख्यात सभी मन मानी ॥

नमो नमो संकट कू हरनी। 
मनवांछित पूरण सब करनी ॥

नमो नमो जय जय जगदंबा।
भक्तन काज न होय विलंबा ॥

नमो नमो जय जय जगतारिणी।
सेवक जन के काज सुधारिणी ॥4

दिव्य रूप सिर चूनर सोहे ।
जगमगात कुन्डल मन मोहे ॥

मांग सिंदूर सुकाजर टीकी ।
गजमुक्ता नथ सुंदर नीकी ॥

गल वैजंती माल विराजे ।
सोलहूं साज बदन पे साजे ॥

धन्य भाग गुरसामलजी को ।
महम डोकवा जन्म सती को ॥8

तनधनदास पति वर पाये ।
आनंद मंगल होत सवाये ॥

जालीराम पुत्र वधु होके ।
वंश पवित्र किया कुल दोके ॥

पति देव रण मॉय जुझारे ।
सति रूप हो शत्रु संहारे ॥

पति संग ले सद् गती पाई ।
सुर मन हर्ष सुमन बरसाई ॥12

धन्य भाग उस राणा जी को ।
सुफल हुवा कर दरस सती का ॥

विक्रम तेरह सौ बावन कूं ।
मंगसिर बदी नौमी मंगल कूं ॥

नगर झून्झूनू प्रगटी माता ।
जग विख्यात सुमंगल दाता ॥

दूर देश के यात्री आवै ।
धुप दिप नैवैध्य चढावे ॥16

उछाङ उछाङते है आनंद से ।
पूजा तन मन धन श्रीफल से ॥

जात जङूला रात जगावे ।
बांसल गोत्री सभी मनावे ॥

पूजन पाठ पठन द्विज करते ।
वेद ध्वनि मुख से उच्चरते ॥

नाना भाँति भाँति पकवाना ।
विप्र जनो को न्यूत जिमाना ॥20

श्रद्धा भक्ति सहित हरसाते ।
सेवक मनवांछित फल पाते ॥

जय जय कार करे नर नारी ।
श्री राणी सतीजी की बलिहारी ॥

द्वार कोट नित नौबत बाजे ।
होत सिंगार साज अति साजे ॥

रत्न सिंघासन झलके नीको ।
पलपल छिनछिन ध्यान सती को ॥24

भाद्र कृष्ण मावस दिन लीला ।
भरता मेला रंग रंगीला ॥

भक्त सूजन की सकल भीङ है ।
दरशन के हित नही छीङ है ॥

अटल भुवन मे ज्योति तिहारी ।
तेज पूंज जग मग उजियारी ॥

आदि शक्ति मे मिली ज्योति है ।
देश देश मे भवन भौति है ॥28

नाना विधी से पूजा करते ।
निश दिन ध्यान तिहारो धरते ॥

कष्ट निवारिणी दुख: नासिनी ।
करूणामयी झुन्झुनू वासिनी ॥

प्रथम सती नारायणी नामा ।
द्वादश और हुई इस धामा ॥

तिहूं लोक मे कीरति छाई ।
राणी सतीजी की फिरी दुहाई ॥32

सुबह शाम आरती उतारे ।
नौबत घंटा ध्वनि टंकारे ॥

राग छत्तीसों बाजा बाजे ।
तेरहु मंड सुन्दर अति साजे ॥

त्राहि त्राहि मै शरण आपकी ।
पुरी मन की आस दास की ॥

मुझको एक भरोसो तेरो ।
आन सुधारो मैया कारज मेरो ॥36

पूजा जप तप नेम न जानू ।
निर्मल महिमा नित्य बखानू ॥

भक्तन की आपत्ति हर लिनी ।
पुत्र पौत्र सम्पत्ति वर दीनी ॥ 40

पढे चालीसा जो शतबारा ।
होय सिद्ध मन माहि विचारा ॥

टिबरिया ली शरण तिहारी।
क्षमा करो सब चूक हमारी ॥

॥ दोहा ॥
दुख आपद विपदा हरण,
जन जीवन आधार ।
बिगङी बात सुधारियो,
सब अपराध बिसार ॥
॥ मात श्री राणी सतीजी की जय ॥

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Radha Chalisa Lyrics In Hindi

॥ दोहा ॥
श्री राधे वुषभानुजा, 
भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी,
प्रानावौ बारम्बार ॥

जैसो तैसो रावरौ,
कृष्ण प्रिय सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये,
सुन्दर सुखद ललाम ॥

॥ चौपाई ॥
जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा ।
कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥

नित्य विहारिणी श्याम अधर ।
अमित बोध मंगल दातार ॥

रास विहारिणी रस विस्तारिन ।
सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥

नित्य किशोरी राधा गोरी ।
श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ॥

करुना सागरी हिय उमंगिनी ।
ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥

दिनकर कन्या कूल विहारिणी ।
कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥

नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें ।
श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥

मुरली में नित नाम उचारें ।
तुम कारण लीला वपु धरें ॥

प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।
श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥

नावाला किशोरी अति चाबी धामा ।
द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥10

गौरांगी शशि निंदक वदना ।
सुभाग चपल अनियारे नैना ॥

जावक यूथ पद पंकज चरण ।
नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥

सन्तता सहचरी सेवा करहीं ।
महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥

रसिकन जीवन प्रण अधर ।
राधा नाम सकल सुख सारा ॥

अगम अगोचर नित्य स्वरूप ।
ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥

उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी ।
कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥

नित्य धाम गोलोक बिहारिनी ।
जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥

शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।
पार न पायं सेष अरु शरद ॥

राधा शुभ गुण रूपा उजारी ।
निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥

ब्रज जीवन धन राधा रानी ।
महिमा अमित न जय बखानी ॥ 20

प्रीतम संग दिए गल बाहीं ।
बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥

राधा कृष्ण कृष्ण है राधा ।
एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥

श्री राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥

कोटिक रूप धरे नन्द नंदा ।
दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥

रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।
मान करो जब अति दुःख पावें ॥

प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें ।
विविध भांति नित विनय सुनावें ॥

वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम ।
नाम लेथ पूरण सब कम ॥

कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू ।
विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥

तू न श्याम भक्ताही अपनावें ।
जब लगी नाम न राधा गावें ॥

वृंदा विपिन स्वामिनी राधा ।
लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥ 30

स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा ।
और तुम्हें को जननी हारा ॥

श्रीराधा रस प्रीती अभेद ।
सादर गान करत नित वेदा ॥

राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं ।
ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥

कीरति कुमारी लाडली राधा ।
सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥

नाम अमंगल मूल नासवानी ।
विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥

राधा नाम ले जो कोई ।
सहजही दामोदर वश होई ॥

राधा नाम परम सुखदायी ।
सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥

यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन ।
जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥

रास विहारिणी श्यामा प्यारी ।
करुहू कृपा बरसाने वारि ॥

वृन्दावन है शरण तुम्हारी ।
जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥ 40

॥ दोहा ॥
श्री राधा सर्वेश्वरी,
रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहूँ निरंतर बास मै,
श्री वृन्दावन धाम ॥
॥ इति श्री राधा चालीसा ॥

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॥ दोहा ॥
जय जय जल देवता,
जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उडेरो लाल जय,
झुलेलाल अनूप ॥
॥ चौपाई ॥
रतनलाल रतनाणी नंदन ।
जयति देवकी सुत जग वंदन ॥

दरियाशाह वरुण अवतारी ।
जय जय लाल साईं सुखकारी ॥

जय जय होय धर्म की भीरा ।
जिन्दा पीर हरे जन पीरा ॥

संवत दस सौ सात मंझरा ।
चैत्र शुक्ल द्वितिया भगऊ वारा ॥4॥

ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा ।
प्रभु अवतरे हरे जन कलेशा ॥

सिन्धु वीर ठट्ठा राजधानी ।
मिरखशाह नऊप अति अभिमानी ॥

कपटी कुटिल क्रूर कूविचारी ।
यवन मलिन मन अत्याचारी ॥

धर्मान्तरण करे सब केरा ।
दुखी हुए जन कष्ट घनेरा ॥8॥

पिटवाया हाकिम ढिंढोरा ।
हो इस्लाम धर्म चाहुँओरा ॥

सिन्धी प्रजा बहुत घबराई ।
इष्ट देव को टेर लगाई ॥

वरुण देव पूजे बहुंभाती ।
बिन जल अन्न गए दिन राती ॥

सिन्धी तीर सब दिन चालीसा ।
घर घर ध्यान लगाये ईशा ॥12॥

गरज उठा नद सिन्धु सहसा ।
चारो और उठा नव हरषा ॥

वरुणदेव ने सुनी पुकारा ।
प्रकटे वरुण मीन असवारा ॥

दिव्य पुरुष जल ब्रह्मा स्वरुपा ।
कर पुष्तक नवरूप अनूपा ॥

हर्षित हुए सकल नर नारी ।
वरुणदेव की महिमा न्यारी ॥16॥

जय जय कार उठी चाहुँओरा ।
गई रात आने को भौंरा ॥

मिरखशाह नऊप अत्याचारी ।
नष्ट करूँगा शक्ति सारी ॥

दूर अधर्म, हरण भू भारा ।
शीघ्र नसरपुर में अवतारा ॥

रतनराय रातनाणी आँगन ।
खेलूँगा, आऊँगा शिशु बन ॥20॥

रतनराय घर ख़ुशी आई ।
झुलेलाल अवतारे सब देय बधाई ॥

घर घर मंगल गीत सुहाए ।
झुलेलाल हरन दुःख आए ॥

मिरखशाह तक चर्चा आई ।
भेजा मंत्री क्रोध अधिकाई ॥

मंत्री ने जब बाल निहारा ।
धीरज गया हृदय का सारा ॥24॥

देखि मंत्री साईं की लीला ।
अधिक विचित्र विमोहन शीला ॥

बालक धीखा युवा सेनानी ।
देखा मंत्री बुद्धि चाकरानी ॥

योद्धा रूप दिखे भगवाना ।
मंत्री हुआ विगत अभिमाना ॥

झुलेलाल दिया आदेशा ।
जा तव नऊपति कहो संदेशा ॥28॥

मिरखशाह नऊप तजे गुमाना ।
हिन्दू मुस्लिम एक समाना ॥

बंद करो नित्य अत्याचारा ।
त्यागो धर्मान्तरण विचारा ॥

लेकिन मिरखशाह अभिमानी ।
वरुणदेव की बात न मानी ॥

एक दिवस हो अश्व सवारा ।
झुलेलाल गए दरबारा ॥32॥

मिरखशाह नऊप ने आज्ञा दी ।
झुलेलाल बनाओ बन्दी ॥

किया स्वरुप वरुण का धारण ।
चारो और हुआ जल प्लावन ॥

दरबारी डूबे उतराये ।
नऊप के होश ठिकाने आये ॥

नऊप तब पड़ा चरण में आई ।
जय जय धन्य जय साईं ॥36॥

वापिस लिया नऊपति आदेशा ।
दूर दूर सब जन क्लेशा ॥

संवत दस सौ बीस मंझारी ।
भाद्र शुक्ल चौदस शुभकारी ॥

भक्तो की हर आधी व्याधि ।
जल में ली जलदेव समाधि ॥

जो जन धरे आज भी ध्याना ।
उनका वरुण करे कल्याणा ॥40॥

॥ दोहा ॥
चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय ।
पावे मनवांछित फल अरु जीवन सुखमय होय ॥
॥ ॐ श्री वरुणाय नमः ॥

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Narmada Chalisa- Jai Jai Jai Narmada Bhawani In Hindi

श्री नर्मदा चालीसा:
॥ दोहा॥
देवि पूजित, नर्मदा,
महिमा बड़ी अपार ।
चालीसा वर्णन करत,
कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा,
मिटते पाप महान ।
तट पर कर जप दान नर,
पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी ।

अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता ।

कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी ।

सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा ॥4

वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं ।

ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं ।

दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते ।

जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं ॥8

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं ।

मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं ।

कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता ।

पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा ॥12

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं ।

शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं ।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे,
ये सब कहलाते दु:ख हारे ।

मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं ॥16

कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा ।

पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में ।

एक बार कर के स्नाना,
तरत पिढ़ी है नर नारा ।

मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा ॥20

जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा ।

समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो ।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई ।

जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता ॥24

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी ।

तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि ।

यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता ।

सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती ॥28

पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के ।

तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी ।

जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता ।

जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें ॥32

वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा ।

घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी ।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा ।

हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता ॥35

जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता ।

जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता ।

अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई ।

सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ॥40

॥ दोहा ॥
भक्ति भाव उर आनि के,
जो करता है जाप ।

माता जी की कृपा से,
दूर होत संताप॥
॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥

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Nakoda Bhairav Chalisa Lyrics in Hindi – श्री नाकोड़ा भैरव चालीसा

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Nakoda Bhairav Chalisa Lyrics in Hindi

।। दोहा ।।
पार्श्वनाथ भगवान की,
मूरत चित बसाए ।
भैरव चालीसा लिखू,
गाता मन हरसाए ।

।। चौपाई ।।
नाकोडा भैरव सुखकारी,
गुण गाये ये, दुनिया सारी । १ ।
भैरव की महिमा अति भारी,
भैरव नाम जपे नर – नारी । २ ।

जिनवर के हैं आज्ञाकारी,
श्रद्धा रखते समकित धारी । ३ ।
प्रातः उठ जो भैरव ध्याता,
ऋद्धि सिद्धि सब संपत्ति पाता । ४ ।

भैरव नाम जपे जो कोई,
उस घर में निज मंगल होई । ५ ।
नाकोडा लाखों नर आवे,
श्रद्धा से परसाद चढावे । ६ ।

भैरव – भैरव आन पुकारे,
भक्तों के सब कष्ट निवारे । ७ ।
भैरव दर्शन शक्ति – शाली,
दर से कोई न जावे खाली । ८ ।

जो नर नित उठ तुमको ध्यावे,
भूत पास आने नहीं पावे । ९ ।
डाकण छूमंतर हो जावे,
दुष्ट देव आडे नहीं आवे । १० ।

मारवाड की दिव्य मणि हैं,
हम सब के तो आप धणी हैं । ११ ।
कल्पतरु है परतिख भैरव,
इच्छित देता सबको भैरव । १२ ।

आधि व्याधि सब दोष मिटावे,
सुमिरत भैरव शान्ति पावे । १३ ।
बाहर परदेशे जावे नर,
नाम मंत्र भैरव का लेकर । १४ ।

चोघडिया दूषण मिट जावे,
काल राहु सब नाठा जावे । १५ ।
परदेशा में नाम कमावे,
धन बोरा में भरकर लावे । १६ ।

तन में साता मन में साता,
जो भैरव को नित्य मनाता । १७ ।
मोटा डूंगर रा रहवासी,
अर्ज सुणन्ता दौड्या आसी । १८ ।

जो नर भक्ति से गुण गासी,
पावें नव रत्नों की राशि । १९ ।
श्रद्धा से जो शीष झुकावे,
भैरव अमृत रस बरसावे । २० ।

मिल जुल सब नर फेरे माला,
दौड्या आवे बादल – काला । २१ ।
वर्षा री झडिया बरसावे,
धरती माँ री प्यास बुझावे । २२ ।

अन्न – संपदा भर भर पावे,
चारों ओर सुकाल बनावे । २३ ।
भैरव है सच्चा रखवाला,
दुश्मन मित्र बनाने वाला । २४ ।

देश – देश में भैरव गाजे,
खूटँ – खूटँ में डंका बाजे । २५ ।
हो नहीं अपना जिनके कोई,
भैरव सहायक उनके होई । २६ ।

नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे,
भैरव झट – पट दौडे आवे । २७ ।
भूख्या नर की भूख मिटावे,
प्यासे नर को नीर पिलावे । २८ ।

इधर – उधर अब नहीं भटकना,
भैरव के नित पाँव पकडना । २९ ।
इच्छित संपदा आप मिलेगी,
सुख की कलियाँ नित्य खिलेंगी । ३० ।

भैरव गण खरतर के देवा,
सेवा से पाते नर मेवा । ३१ ।
कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते,
हुक्म – हाजिरी सदा बजाते । ३२ ।

ऊँ ह्रीं भैरव बं बं भैरव,
कष्ट निवारक भोला भैरव । ३३ ।
नैन मूँद धुन रात लगावे,
सपने में वो दर्शन पावे । ३४ ।

प्रश्नों के उत्तर झट मिलते,
रस्ते के संकट सब मिटते । ३५ ।
नाकोडा भैरव नित ध्यावो,
संकट मेटो मंगल पावो । ३६ ।

भैरव जपन्ता मालम – माला,
बुझ जाती दुःखों की ज्वाला । ३७ ।
नित उठे जो चालीसा गावे,
धन सुत से घर स्वर्ग बनावे । ३८ ।

।। दोहा ।।
भैरु चालीसा पढे,
मन में श्रद्धा धार ।
कष्ट कटे महिमा बढे,
संपदा होत अपार । ३९ ।

जिन कान्ति गुरुराज के,
शिष्य मणिप्रभ राय ।
भैरव के सानिध्य में,
ये चालीसा गाय । ४० ।

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Lalitha Chalisa Lyrics In Hindi & English : ललिता माता की चालीसा

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Parasnath Chalisa / Parshwanath Chalisa Lyrics in Hindi – श्री पार्श्वनाथ चालीसा

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Parasnath Chalisa / Parshwanath Chalisa Lyrics in Hindi

।। दोहा ।।

शीश नवा अरिहंत को,
सिद्धन करूं प्रणाम ।
उपाध्याय आचार्य का ले,
सुखकारी नाम ।

सर्व साधु और सरस्वती,
जिन मंदिर सुखकार ।
अहिच्छत्र और पार्श्व को,
मन मंदिर में धार ।

।। चौपाई ।।

पार्श्वनाथ जगत हितकारी,
हो स्वामी तुम व्रत के धारी ।
सुर नर असुर करें तुम सेवा,
तुम ही सब देवन के देवा ।

तुमसे करम शत्रु भी हारा,
तुम कीना जग का निस्तारा ।
अश्वसेन के राजदुलारे,
वामा की आंखों के तारे ।

काशीजी के स्वामी कहाए,
सारी परजा मौज उड़ाए ।
इक दिन सब मित्रों को लेके,
सैर करन को वन में पहुंचे ।

हाथी पर कसकर अम्बारी,
इक जंगल में गई सवारी ।
एक तपस्वी देख वहां पर,
उससे बोले वचन सुनाकर ।

तपसी तुम क्यों पाप कमाते,
इस लक्कड़ में जीव जलाते ।
तपसी तभी कुदाल उठाया,
उस लक्कड़ को चीर गिराया ।

निकले नाग नागनी कारे,
मरने के थे निकट बिचारे ।
रहम प्रभु के दिल में आया,
तभी मंत्र नवकार सुनाया ।

मरकर वो पाताल सिधाए,
पद्मावती धरणेन्द्र कहाए ।
तपसी मरकर देव कहाया,
नाम कमठ ग्रंथों में गाया ।

एक समय श्री पारस स्वामी,
राज छोड़कर वन की ठानी ।
तप करते थे ध्यान लगाए,
इक दिन कमठ वहां पर आए ।

फौरन ही प्रभु को पहिचाना,
बदला लेना दिल में ठाना ।
बहुत अधिक बारिश बरसाई,
बादल गरजे बिजली गिराई ।

बहुत अधिक पत्थर बरसाए,
स्वामी तन को नहीं हिलाए ।
पद्मावती धरणेन्द्र भी आए,
प्रभु की सेवा में चित लाए ।

धरणेन्द्र ने फन फैलाया,
प्रभु के सिर पर छत्र बनाया ।
पद्मावती ने फन फैलाया,
उस पर स्वामी को बैठाया ।

कर्मनाश प्रभु ज्ञान उपाया,
समोशरण देवेन्द्र रचाया ।
यही जगह अहिच्छत्र कहाए,
पात्र केशरी जहां पर आए ।

शिष्य पांच सौ संग विद्वाना,
जिनको जाने सकल जहाना ।
पार्श्वनाथ का दर्शन पाया,
सबने जैन धरम अपनाया ।

अहिच्छत्र श्री सुन्दर नगरी,
जहां सुखी थी परजा सगरी ।
राजा श्री वसुपाल कहाए,
वो इक जिन मंदिर बनवाए ।

प्रतिमा पर पालिश करवाया,
फौरन इक मिस्त्री बुलवाया ।
वह मिस्तरी मांस था खाता,
इससे पालिश था गिर जाता ।

मुनि ने उसे उपाय बताया,
पारस दर्शन व्रत दिलवाया ।
मिस्त्री ने व्रत पालन कीना,
फौरन ही रंग चढ़ा नवीना ।

गदर सतावन का किस्सा है,
इक माली का यों लिक्खा है ।
वह माली प्रतिमा को लेकर,
झट छुप गया कुए के अंदर ।

उस पानी का अतिशय भारी,
दूर होय सारी बीमारी ।
जो अहिच्छत्र हृदय से ध्वावे,
सो नर उत्तम पदवी वावे ।

पुत्र संपदा की बढ़ती हो,
पापों की इकदम घटती हो ।
है तहसील आंवला भारी,
स्टेशन पर मिले सवारी ।

रामनगर इक ग्राम बराबर,
जिसको जाने सब नारी नर ।
चालीसे को चन्द्र बनाए,
हाथ जोड़कर शीश नवाए ।

।। सोरठा ।।

नित चालीसहिं बार,
पाठ करे चालीस दिन ।
खेय सुगंध अपार,
अहिच्छत्र में आय के ।

होय कुबेर समान,
जन्म दरिद्री होय जो ।
जिसके नहिं संतान,
नाम वंश जग में चले ।

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Goraksh Chalisa Lyrics PDF Download In Hindi | श्री गोरक्ष चालीसा – गोरखनाथ मठ

गोरखनाथ, श्रद्धेय संत और योगी को समर्पित एक शक्तिशाली प्रार्थना, Goraksh Chalisa का पाठ करने के कई लाभों की खोज करें। नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा से लेकर मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार, ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि, आध्यात्मिक विकास और वित्तीय समृद्धि तक, यह लेख भक्ति के साथ गोरक्ष चालीसा का पाठ करने के विभिन्न लाभों की पड़ताल करता है। जानिए कैसे यह प्रार्थना आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और समग्र कल्याण ला सकती है।

Goraksh Chalisa Lyrics
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Goraksh Chalisa Lyrics In Hindi | गोरक्ष चालीसा हिंदी में

दोहा-
गणपति गिरिजा पुत्र को,
सिमरूँ बारम्बार ।
हाथ जोड़ विनती करूँ,
शारद नाम अधार । ।

चौपाई-
जय जय जय गोरख अविनाशी,
कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ।
जय जय जय गोरख गुणज्ञानी,
इच्छा रूप योगी वरदानी । ।
अलख निरंजन तुम्हरो नामा,
सदा करो भक्तन हित कामा ।
नाम तुम्हारा जो कोई गावे,
जन्म जन्म के दुःख नशावे ।
जो कोई गोरक्ष नाम सुनावे,
भूत पिशाच निकट नहीं आवे ।
ज्ञान तुम्हारा योग से पावे,
रूप तुम्हार लख्या ना जावे ।
निराकार तुम हो निर्वाणी,
महिमा तुम्हरी वेद बखानी ।
घट घट के तुम अन्तर्यामी,
सिद्ध चौरासी करें प्रणामी ।
भस्म अङ्ग गले नाद विराजे,
जटा सीस अति सुन्दर साजे ।

तुम बिन देव और नहीं दूजा,
देव मुनी जन करते पूजा ।
चिदानन्द सन्तन हितकारी,
मङ़्गल करे अमङ़्गल हारी ।
पूरण ब्रह्म सकल घट वासी,
गोरक्षनाथ सकल प्रकासी ।
गोरक्ष गोरक्ष जो कोई ध्यावे,
ब्रह्म रूप के दर्शन पावे ।
शङ़्कर रूप धर डमरू बाजे,
कानन कुण्डल सुन्दर साजे ।
नित्यानन्द है नाम तुम्हारा,
असुर मार भक्तन रखवारा ।
अति विशाल है रूप तुम्हारा,
सुर नर मुनि जन पावं न पारा ।
दीन बन्धु दीनन हितकारी,
हरो पाप हम शरण तुम्हारी ।
योग युक्ति में हो प्रकाशा,
सदा करो सन्तन तन वासा ।
प्रातःकाल ले नाम तुम्हारा,
सिद्धि बढ़े अरु योग प्रचारा ।
हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले,
मार मार वैरी के कीले ।
चल चल चल गोरक्ष विकराला,
दुश्मन मान करो बेहाला ।
जय जय जय गोरक्ष अविनासी,
अपने जन की हरो चौरासी ।
अचल अगम हैं गोरक्ष योगी,
सिद्धि देवो हरो रस भोगी ।
काटो मार्ग यम की तुम आई,
तुम बिन मेरा कौन सहाई ।
अजर अमर है तुम्हरो देहा,
सनकादिक सब जोहहिं नेहा ।
कोटि न रवि सम तेज तुम्हारा,
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ।
योगी लखें तुम्हारी माया,
पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ।
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे,
अष्ट सिद्धि नव निधि घर पावे ।
शिव गोरक्ष है नाम तुम्हारा,
पापी दुष्ट अधम को तारा ।
अगम अगोचर निर्भय नाथा,
सदा रहो सन्तन के साथा ।
शङ़्कर रूप अवतार तुम्हारा,
गोपीचन्द भर्तृहरि को तारा ।
सुन लीजो गुरु अरज हमारी,
कृपा सिन्धु योगी ब्रह्मचारी ।
पूर्ण आस दास की कीजे,
सेवक जान ज्ञान को दीजे ।
पतित पावन अधम अधारा,
तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ।
अलख निरंजन नाम तुम्हारा,
अगम पंथ जिन योग प्रचारा ।
जय जय जय गोरक्ष भगवाना,
सदा करो भक्तन कल्याना ।
जय जय जय गोरक्ष अविनाशी,
सेवा करें सिद्ध चौरासी ।
जो पढ़ही गोरक्ष चालीसा,
होय सिद्ध साक्षी जगदीशा ।
बारह पाठ पढ़े नित्य जोई,
मनोकामना पूरण होई ।
और श्रद्धा से रोट चढ़ावे,
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे ।

दोहा –
सुने सुनावे प्रेमवश,
पूजे अपने हाथ
मन इच्छा सब कामना,
पूरे गोरक्षनाथ ।
अगम अगोचर नाथ तुम,
पारब्रह्म अवतार ।
कानन कुण्डल सिर जटा,
अंग विभूति अपार ।
सिद्ध पुरुष योगेश्वरों,
दो मुझको उपदेश ।
हर समय सेवा करूँ,
सुबह शाम आदेश ।

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Goraksh Chalisa Benefits in Hindi | गोरक्ष चालीसा के फायदे हिंदी में

Goraksh Chalisa एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो गोरखनाथ, एक श्रद्धेय संत और योगी को समर्पित है, जिन्हें नाथ परंपरा के संस्थापकों में से एक माना जाता है। चालीसा में गोरखनाथ की स्तुति में चालीस छंद शामिल हैं, और यह माना जाता है कि भक्ति के साथ इसका पाठ करने से किसी के जीवन में कई लाभ हो सकते हैं। इस लेख में, हम गोरक्ष चालीसा का पाठ करने के विभिन्न लाभों और कैसे यह हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, पर चर्चा करेंगे।

नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

माना जाता है कि Goraksh Chalisa नकारात्मक ऊर्जा, बुरी आत्माओं और अन्य हानिकारक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करती है। प्रार्थना भक्त के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाती है, जो उन्हें नुकसान पहुंचाने वाली नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने में मदद करती है। चालीसा का पाठ करने से भक्त सुरक्षित और संरक्षित महसूस कर सकते हैं, और यह उन्हें केंद्रित और सकारात्मक रहने में भी मदद करता है।

बेहतर मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य

Goraksh Chalisa को मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव के लिए भी जाना जाता है। प्रार्थना मन को शांत करने और तनाव, चिंता और अवसाद से राहत दिलाने में मदद करती है। ऐसा माना जाता है कि चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति आंतरिक शांति और शांति की भावना का अनुभव कर सकता है, जो उनकी मानसिक और भावनात्मक भलाई में सुधार करने में मदद कर सकता है।

बढ़ा हुआ फोकस और एकाग्रता

आज की तेजी से भागती दुनिया में, केंद्रित और उत्पादक बने रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालाँकि, Goraksh Chalisa का पाठ करने से ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। प्रार्थना को दोहराकर, भक्त अपने मन को केंद्रित रहने और विकर्षणों से बचने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं। यह छात्रों और पेशेवरों के लिए विशेष रूप से सहायक हो सकता है, जिन्हें लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है।

बेहतर रिश्ते

माना जाता है कि Goraksh Chalisa रिश्तों को सुधारने में भी मदद करती है। प्रार्थना करुणा, प्रेम और क्षमा को बढ़ावा देती है, जो स्वस्थ संबंधों के लिए आवश्यक गुण हैं। चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति इन गुणों को विकसित कर सकता है और परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकता है।

आध्यात्मिक विकास

Goraksh Chalisa एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो आध्यात्मिक विकास में मदद कर सकती है। भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति परमात्मा से जुड़ सकता है और ब्रह्मांड के साथ एकता की भावना का अनुभव कर सकता है। प्रार्थना विश्वास, भक्ति और उच्च शक्ति के प्रति समर्पण को विकसित करने में मदद करती है, जो आध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक गुण हैं।

बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य

माना जाता है कि इसके मानसिक और भावनात्मक लाभों के अलावा, Goraksh Chalisa का शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रार्थना तनाव को कम करने में मदद करती है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार हो सकता है और बीमारियों को रोका जा सकता है। यह भी कहा जाता है कि यह शारीरिक दर्द और परेशानी से राहत प्रदान करता है।

बाधाओं और चुनौतियों पर काबू पाना

जीवन बाधाओं और चुनौतियों से भरा है, और उन पर काबू पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालाँकि, Goraksh Chalisa का पाठ करने से बाधाओं और चुनौतियों पर काबू पाने में मदद मिल सकती है। प्रार्थना शक्ति, साहस और दृढ़ता को विकसित करने में मदद करती है, जो कठिनाइयों पर काबू पाने के लिए आवश्यक गुण हैं।

वित्तीय समृद्धि

Goraksh Chalisa को वित्तीय समृद्धि लाने वाला भी माना जाता है। प्रार्थना सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है और किसी के जीवन में बहुतायत और समृद्धि को आकर्षित करती है। चालीसा का भक्तिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति आर्थिक कठिनाइयों को दूर कर सकता है और अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त कर सकता है।

यात्रा के दौरान सुरक्षा

जो लोग अक्सर यात्रा करते हैं, उनके लिए गोरक्ष चालीसा का पाठ करना उनकी यात्रा के दौरान सुरक्षा और सुरक्षा प्रदान कर सकता है। प्रार्थना यात्री के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाती है और उन्हें दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहने में मदद करती है।

समग्र कल्याण

अंत में, गोरक्ष चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में समग्र कल्याण हो सकता है। प्रार्थना प्रेम, करुणा, क्षमा और विश्वास जैसे सकारात्मक गुणों को विकसित करने में मदद करती है, जो जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकती है और आंतरिक शांति और संतोष की भावना को बढ़ावा दे सकती है।

यह नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा भी प्रदान करता है, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार करता है, फोकस और एकाग्रता बढ़ाता है, रिश्तों को मजबूत करता है, आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है, बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में मदद करता है और वित्तीय समृद्धि लाता है। भक्ति के साथ गोरक्ष चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति आंतरिक शांति और संतोष की भावना का अनुभव कर सकता है और एक सुखी और पूर्ण जीवन व्यतीत कर सकता है।

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Shri Aadinath Chalisa Lyrics PDF Download In Hindi | श्री आदिनाथ चालीसा हिंदी में

अपने समग्र कल्याण में सुधार करने और एक सुखी और पूर्ण जीवन जीने का तरीका खोज रहे हैं? Aadinath Chalisa, जैन धर्म में एक पवित्र प्रार्थना जो आपके जीवन में कई लाभ ला सकती है। बुरी ताकतों से सुरक्षा से लेकर वित्तीय समृद्धि, बेहतर रिश्ते और आध्यात्मिक विकास तक, यह लेख भक्ति के साथ Aadinath Chalisa का पाठ करने के विभिन्न लाभों की पड़ताल करता है। यह जानने के लिए पढ़ें कि कैसे यह शक्तिशाली प्रार्थना आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

Shri Aadinath Chalisa Lyrics In Hindi & English  श्री आदिनाथ चालीसा
Shri Aadinath Chalisa Lyrics In Hindi & English | श्री आदिनाथ चालीसा

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Shri Aadinath Chalisa Lyrics In Hindi | आदिनाथ चालीसा हिंदी में

॥ दोहा॥
शीश नवा अरिहंत को,
सिद्धन को, करूं प्रणाम ।
उपाध्याय आचार्य का,
ले सुखकारी नाम ॥

सर्व साधु और सरस्वती,
जिन मन्दिर सुखकार ।
आदिनाथ भगवान को,
मन मन्दिर में धार ॥

॥ चौपाई ॥
जै जै आदिनाथ जिन स्वामी ।
तीनकाल तिहूं जग में नामी ॥

वेष दिगम्बर धार रहे हो ।
कर्मो को तुम मार रहे हो ॥

हो सर्वज्ञ बात सब जानो ।
सारी दुनियां को पहचानो ॥

नगर अयोध्या जो कहलाये ।
राजा नाभिराज बतलाये ॥4॥

मरुदेवी माता के उदर से ।
चैत वदी नवमी को जन्मे ॥

तुमने जग को ज्ञान सिखाया ।
कर्मभूमी का बीज उपाया ॥

कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने ।
जनता आई दुखड़ा कहने ॥

सब का संशय तभी भगाया ।
सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया ॥8॥

खेती करना भी सिखलाया ।
न्याय दण्ड आदिक समझाया ॥

तुमने राज किया नीति का ।
सबक आपसे जग ने सीखा ॥

पुत्र आपका भरत बताया ।
चक्रवर्ती जग में कहलाया ॥

बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे ।
भरत से पहले मोक्ष सिधारे ॥12॥

सुता आपकी दो बतलाई ।
ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई ॥

उनको भी विध्या सिखलाई ।
अक्षर और गिनती बतलाई ॥

एक दिन राजसभा के अंदर ।
एक अप्सरा नाच रही थी ॥

आयु उसकी बहुत अल्प थी ।
इसलिए आगे नहीं नाच रही थी ॥16॥

विलय हो गया उसका सत्वर ।
झट आया वैराग्य उमड़कर ॥

बेटो को झट पास बुलाया ।
राज पाट सब में बंटवाया ॥ 

छोड़ सभी झंझट संसारी ।
वन जाने की करी तैयारी ॥

राव हजारों साथ सिधाए ।
राजपाट तज वन को धाये ॥20॥

लेकिन जब तुमने तप किना ।
सबने अपना रस्ता लीना ॥

वेष दिगम्बर तजकर सबने ।
छाल आदि के कपड़े पहने ॥

भूख प्यास से जब घबराये ।
फल आदिक खा भूख मिटाये ॥

तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये ।
जो अब दुनियां में दिखलाये ॥24॥

छै: महीने तक ध्यान लगाये ।
फिर भजन करने को धाये ॥

भोजन विधि जाने नहि कोय ।
कैसे प्रभु का भोजन होय ॥ 

इसी तरह बस चलते चलते ।
छः महीने भोजन बिन बीते ॥

नगर हस्तिनापुर में आये ।
राजा सोम श्रेयांस बताए ॥28॥

याद तभी पिछला भव आया ।
तुमको फौरन ही पड़धाया ॥

रस गन्ने का तुमने पाया ।
दुनिया को उपदेश सुनाया ॥

पाठ करे चालीसा दिन ।
नित चालीसा ही बार ॥

चांदखेड़ी में आय के ।
खेवे धूप अपार ॥32॥

जन्म दरिद्री होय जो ।
होय कुबेर समान ॥

नाम वंश जग में चले ।
जिनके नहीं संतान ॥

तप कर केवल ज्ञान पाया ।
मोक्ष गए सब जग हर्षाया ॥ 

अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर ।
चांदखेड़ी भंवरे के अंदर ॥36॥

उसका यह अतिशय बतलाया ।
कष्ट क्लेश का होय सफाया ॥ 

मानतुंग पर दया दिखाई ।
जंजीरे सब काट गिराई ॥

राजसभा में मान बढ़ाया ।
जैन धर्म जग में फैलाया ॥

मुझ पर भी महिमा दिखलाओ ।
कष्ट भक्त का दूर भगाओ ॥40॥

॥ सोरठा ॥
पाठ करे चालीसा दिन,
नित चालीसा ही बार ।
चांदखेड़ी में आय के,
खेवे धूप अपार ॥

जन्म दरिद्री होय जो,
होय कुबेर समान ।
नाम वंश जग में चले,
जिनके नहीं संतान ॥

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Aadinath Chalisa Benefits In Hindi | आदिनाथ चालीसा के फायदे हिंदी में

Aadinath Chalisa, जिसे आदिनाथ स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के भक्तों द्वारा पढ़ी जाने वाली एक पवित्र प्रार्थना है। चालीसा में भगवान आदिनाथ की स्तुति में चालीस छंद शामिल हैं, और यह माना जाता है कि भक्ति के साथ इसका पाठ करने से किसी के जीवन में कई लाभ हो सकते हैं। इस लेख में, हम आदिनाथ चालीसा का पाठ करने के विभिन्न लाभों और कैसे यह हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, पर चर्चा करेंगे।

बुरी ताकतों से सुरक्षा

माना जाता है कि Aadinath Chalisa का पाठ बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसा कहा जाता है कि प्रार्थना भक्त के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाती है, जो उन्हें बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से दूर रखने में मदद करती है जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं। चालीसा का पाठ करने से भक्त सुरक्षित और संरक्षित महसूस कर सकते हैं, और यह उन्हें केंद्रित और सकारात्मक रहने में भी मदद करता है।

बेहतर मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य

Aadinath Chalisa को मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव के लिए भी जाना जाता है। प्रार्थना मन को शांत करने और तनाव, चिंता और अवसाद से राहत दिलाने में मदद करती है। ऐसा माना जाता है कि चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति आंतरिक शांति और शांति की भावना का अनुभव कर सकता है, जो उनकी मानसिक और भावनात्मक भलाई में सुधार करने में मदद कर सकता है।

बढ़ा हुआ फोकस और एकाग्रता

आज की तेजी से भागती दुनिया में, केंद्रित और उत्पादक बने रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालाँकि, Aadinath Chalisa का पाठ करने से ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। प्रार्थना को दोहराकर, भक्त अपने मन को केंद्रित रहने और विकर्षणों से बचने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं। यह छात्रों और पेशेवरों के लिए विशेष रूप से सहायक हो सकता है, जिन्हें लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है।

बेहतर रिश्ते

Aadinath Chalisa भी रिश्तों को सुधारने में मदद करने वाली मानी जाती है। प्रार्थना करुणा, प्रेम और क्षमा को बढ़ावा देती है, जो स्वस्थ संबंधों के लिए आवश्यक गुण हैं। चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति इन गुणों को विकसित कर सकता है और परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकता है।

आध्यात्मिक विकास

Aadinath Chalisa एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो आध्यात्मिक विकास में मदद कर सकती है। भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति परमात्मा से जुड़ सकता है और ब्रह्मांड के साथ एकता की भावना का अनुभव कर सकता है। प्रार्थना विश्वास, भक्ति और उच्च शक्ति के प्रति समर्पण को विकसित करने में मदद करती है, जो आध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक गुण हैं।

बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य

इसके मानसिक और भावनात्मक लाभों के अलावा, आदिनाथ चालीसा का शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रार्थना तनाव को कम करने में मदद करती है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार हो सकता है और बीमारियों को रोका जा सकता है। यह भी कहा जाता है कि यह शारीरिक दर्द और परेशानी से राहत प्रदान करता है।

बाधाओं और चुनौतियों पर काबू पाना

जीवन बाधाओं और चुनौतियों से भरा है, और उन पर काबू पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालाँकि, Aadinath Chalisa का पाठ करने से बाधाओं और चुनौतियों पर काबू पाने में मदद मिल सकती है। प्रार्थना शक्ति, साहस और दृढ़ता को विकसित करने में मदद करती है, जो कठिनाइयों पर काबू पाने के लिए आवश्यक गुण हैं।

वित्तीय समृद्धि

Aadinath Chalisa को वित्तीय समृद्धि लाने वाला भी माना जाता है। प्रार्थना सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है और किसी के जीवन में बहुतायत और समृद्धि को आकर्षित करती है। चालीसा का भक्तिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति आर्थिक कठिनाइयों को दूर कर सकता है और अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त कर सकता है।

यात्रा के दौरान सुरक्षा

जो लोग अक्सर यात्रा करते हैं, उनके लिए Aadinath Chalisa का पाठ करना उनकी यात्रा के दौरान सुरक्षा और सुरक्षा प्रदान कर सकता है। प्रार्थना यात्री के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाती है और उन्हें दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहने में मदद करती है।

कुल मिलाकर अच्छी तरह जा रहा

अंत में, Aadinath Chalisa का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में समग्र कल्याण हो सकता है। प्रार्थना प्रेम, करुणा, क्षमा और विश्वास जैसे सकारात्मक गुणों को विकसित करने में मदद करती है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है। यह शांति और संतोष की भावना को बढ़ावा देता है, जो एक सुखी और पूर्ण जीवन जीने में मदद कर सकता है।

अंत में, Aadinath Chalisa एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो किसी के जीवन में कई लाभ ला सकती है। प्रार्थना मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक कल्याण, आध्यात्मिक विकास और वित्तीय समृद्धि को बढ़ावा देने में मदद करती है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा भी प्रदान करता है, बाधाओं और चुनौतियों पर काबू पाने में मदद करता है, और प्रेम, करुणा और क्षमा जैसे सकारात्मक गुणों को बढ़ावा देता है। भक्ति के साथ आदिनाथ चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति आंतरिक शांति और शांति की भावना का अनुभव कर सकता है और एक सुखी और पूर्ण जीवन जी सकता है।

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